सविता कर्मचारियों को लेकर न्यायालय का बड़ा फैसला सामने आया है उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि संविदा कर्मचारियों को भी सम्मान कार्य सम्मान वेतन मिलने का अधिकार है न्यायमूर्ति पी.एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जाँयमाला बागची की पीठ ने यह फैसला सुनाया हैं।
संविदा शिक्षकों को मिले न्यूनतम स्वीकार्य वेतन
न्यायालय के द्वारा शिक्षकों को सम्मानजनक पारिश्रमिक नहीं देने से देश में ज्ञान का महत्व दर्शाते हैं और बौद्धिक पूंजी निर्माण का दायित्व जिन लोगों को सोपा गया है उनकी प्रेरणा कमतर होती है न्यायमूर्ति पी.एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जाँयमाला बागची की पीठ ने शिक्षाविदों व्याख्याता और प्राध्यापक को किसी भी राष्ट्र की बौद्धिक रेड बताया है उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य की पीडिया के मन और चरित्र को आकार देने में उनका पूरा जीवन समर्पित हो जाता है इस कारण सम्मान कार्य के लिए सम्मान वेतन के सिद्धांत को लागू करते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि गुजरात में संविदा पर नियुक्त कुछ सहायक प्राध्यापक स्वीकार्य न्यूनतम वेतन के हकदार होंगे।
शिक्षक का पूरा जीवन समर्पित
उच्च न्यायालय के दो निर्णय के खिलाफ दाहिर अपील पर अपना फैसला सुनाया है जिसमें सम्मान कार्य करने वाले सहायक प्राध्यापक के साथ वेतन में समानता का दावा भी शामिल है यहां पर न्याय लेने कहा है कि जब शिक्षकों के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार नहीं किया जाता है या उन्हें सम्मानजनक पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है तो इससे देश में ज्ञान का महत्व घर जाता है यहां पर यह भी कहा गया है कि उन लोगों की प्रेरणा कमतर हो जाती है जिन्हें इससे बौद्धिक पूंजी के निर्माण का दायित्व सोपा गया है।
अदालत ने कहा कि सार्वजनिक समारोह में केवल संस्कृत मंत्र पाठ करना ही प्राप्त नहीं है बल्कि शिक्षकों का सम्मानजनक वेतन देना भी जरूरी है।
समान कार्य के लिए समान वेतन मिले
उच्चतम न्यायालय ने शिक्षकों के साथ किया जा रहे व्यवहार पर गंभीर चिंता व्यक्त की है यहां पर कहा गया है कि हमें सूचित किया गया है कि स्वीकृत 2720 पदों में से केवल 923 पड़ ही नियमित रूप से नियुक्त कर्मचारियों से भरे गए हैं इस कमी को दूर करने के लिए शैक्षणिक गतिविधियों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के संविधान आत्मक नियुक्तियों का सहारा लिया गया है, सुप्रीम कोर्ट के द्वारा चिंता व्यक्त की गई है कि संविदा सहायक प्रोफेसर को ₹30000 मासिक वेतन मिल रहा है पीठ ने कहा है कि अब समय आ गया कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर गौर करें और उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के आधार पर वेतन संरचना की युक्ति संगत बनाए।